tag:blogger.com,1999:blog-4019129445551793076.post6029073137916123609..comments2012-08-07T20:19:50.599+05:30Comments on नंदिनी: इन किवाड़ों को देख मुझे पिता की याद आती हैNandinihttp://www.blogger.com/profile/11132775455271584623noreply@blogger.comBlogger16125tag:blogger.com,1999:blog-4019129445551793076.post-25078383293990101612008-05-28T18:14:00.000+05:302008-05-28T18:14:00.000+05:30badi thokaren ham bhi khaye hue hain,magar pir apa...badi thokaren ham bhi khaye hue hain,<BR/>magar pir apani chhupae hue hain,<BR/>kahan jayen kisase kahen baat dil ki,<BR/>nahin kaun apane paraye hue hain,<BR/><BR/>sukomal hriday ho na karunai unka, esi se nayan ham churaye hue hain,<BR/>na viran ho priti ki vateeka phir,<BR/>suman vedna ke khilaye hue hain.harshhttps://www.blogger.com/profile/11451904121169750837noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4019129445551793076.post-72547642405947459692008-05-24T09:57:00.000+05:302008-05-24T09:57:00.000+05:30आपकी दूसरी पोस्ट का बेस्रबी से इंतजार था। जब सामने...आपकी दूसरी पोस्ट का बेस्रबी से इंतजार था। जब सामने आई तो दिल को छू गई और भावुक कर गई। यह सच है बडो का होना बडी हिम्मत देता है। अंबुज जी का लेखन ढूढ कर पढ्ते है यह पंसद आया।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4019129445551793076.post-54981842824596344172008-05-24T06:54:00.000+05:302008-05-24T06:54:00.000+05:30आभार प्रकट करते हैं हम आप सबका... पचास पचास साल लि...आभार प्रकट करते हैं हम आप सबका... पचास पचास साल लिखने के बाद भी बड़े बड़े महारथी कहते हैं कि हम अभी लिखना सीख रहे हैं... हमें पांच दिन ही हुए हैं... पढ़ रहे हैं... देख रहे हैं... सुन रहे हैं... गुन रहे हैं... ऐसे ही सीख रहे हैं हम... छिटकते हुए शब्द हाथ में आएं तो... कोशिश तो हम कर ही रहे हैं कि लेखन का दायरा फैलाएं... आप लोग अपना प्यार बनाए रखिएगा...Nandinihttps://www.blogger.com/profile/11132775455271584623noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4019129445551793076.post-48456538011731516922008-05-23T20:10:00.000+05:302008-05-23T20:10:00.000+05:30कुमार अंबुज जी की कविता कहीं दिल में बहुत गहरे उतर...कुमार अंबुज जी की कविता कहीं दिल में बहुत गहरे उतर गई. बहुत आभार आपका इसे पेश करने के लिए.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4019129445551793076.post-15334631251244580842008-05-23T19:29:00.000+05:302008-05-23T19:29:00.000+05:30मन भर आया .. मेरी बहन की शादी हुइ शुरुआती दिनों मे...मन भर आया .. मेरी बहन की शादी हुइ शुरुआती दिनों में ससुराल वाले प्रताडित किया करते थे ..एक भाइ के नाते मेरा मन खौल जाता ..मैनें इस बात को अपने दोस्तों के साथ शेयर किया..मेरे पिता ने कहा कि बेटा प्रत्येक घर में एक किवाड होता है जिसके पास नही होता वो टाट का पर्दा लगाता है .तुमने तो उस पर्दे को ही हटा डाला तुम तो नंगे हो गये ..बडी बात कही मेरे पिता ने ..कुछ ही दिनों में बहन के ससुराल वालों के साथ रिश्ते सामान्य हो गये ..आप के इस लेख को पढकर मेरी वो स्मृतियां ताजी हो गइ...कुमार आलोकhttps://www.blogger.com/profile/05450754013929589504noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4019129445551793076.post-12077646064130172382008-05-23T19:21:00.000+05:302008-05-23T19:21:00.000+05:30पिता पर लिखी गई कविताओ में से एक बेहतरीन कविता. बड़...पिता पर लिखी गई कविताओ में से एक बेहतरीन कविता. बड़ी खुशी हुई आप इस हमलोगों के साथ साझा किया<BR/>राजेश रोशनRajesh Roshanhttps://www.blogger.com/profile/14363549887899886585noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4019129445551793076.post-69314510957681063702008-05-23T17:46:00.000+05:302008-05-23T17:46:00.000+05:30achchhi kavita..achchhi kavita..L.Goswamihttps://www.blogger.com/profile/03365783238832526912noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4019129445551793076.post-14620391899620463122008-05-23T16:59:00.000+05:302008-05-23T16:59:00.000+05:30बर्दाश्त करते रहेंगे, बर्दाश्त करने की चिंता न क...बर्दाश्त करते रहेंगे, बर्दाश्त करने की चिंता न करें. लिखने की दुनिया को और-और फैलायें.azdakhttps://www.blogger.com/profile/11952815871710931417noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4019129445551793076.post-92207147510353029112008-05-23T16:20:00.000+05:302008-05-23T16:20:00.000+05:30कुमार अंबुज मेरे प्रिय कवि हैं। एक कवि यही करता है...कुमार अंबुज मेरे प्रिय कवि हैं। एक कवि यही करता है कि वह अपने अनुभव को इस तरह से हमारे लिए अभिव्यक्त करता है कि वह हमारा भी हो जाता है। मुझे नहीं पता आपने उनकी कहानियां पढ़ी कि नहीं लेकिन उन्होंने पिछले कुछ समय में बेहतरीन कहानियां लिखी हैं जो पहल, वागर्थ और नया ज्ञानोदय में छपी हैं। हाल ही में वे जब इंदौर आए थे उनसे मुलाकात हुई। उनका जल्द ही ज्ञानपीठ से एक कहानी संग्रह भी आ रहा है।ravindra vyashttps://www.blogger.com/profile/14064584813872136888noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4019129445551793076.post-33672275701025813062008-05-23T13:40:00.000+05:302008-05-23T13:40:00.000+05:30बेटियां और पिता...चाहे जब, जिसके भी इन रिश्तों की ...बेटियां और पिता...चाहे जब, जिसके भी इन रिश्तों की बातें होती हैं, स्मृतियों से बोझिल दर्द के जाने कितने-कितने दरीचे खुलते चले जाते हैं. नंदिनी जी, यूं ही अपनी उन धरोहर-स्मृतियों को महाकाव्यात्मक स्वर देती रहीं। बधाई।जेपी नारायणhttps://www.blogger.com/profile/05345363717323351232noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4019129445551793076.post-52788692091378761962008-05-23T13:15:00.000+05:302008-05-23T13:15:00.000+05:30दिल को छू लेने वाली कविता है ये.. यहा हमारे साथ बा...दिल को छू लेने वाली कविता है ये.. यहा हमारे साथ बाँटने के लिए आपका धन्यवाद..कुशhttps://www.blogger.com/profile/04654390193678034280noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4019129445551793076.post-78042236208616920832008-05-23T13:13:00.000+05:302008-05-23T13:13:00.000+05:30dil ko choo lene vali kavita hai...pita aise hi ho...dil ko choo lene vali kavita hai...pita aise hi hote hai.डॉ .अनुरागhttps://www.blogger.com/profile/02191025429540788272noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4019129445551793076.post-12951217604996125222008-05-23T12:45:00.000+05:302008-05-23T12:45:00.000+05:30"...ये जब खुलते हैं एक पूरी दुनिया हमारी तरफ़ खुलत..."...ये जब खुलते हैं <BR/>एक पूरी दुनिया हमारी तरफ़ खुलती है <BR/>जब ये नहीं होंगे <BR/>घर <BR/>घर नहीं रहेगा।"<BR/>आह ! क्या बात है. बहुत कुछ कहना है .... लेकिन कैसे कहूँ ?? <BR/>मन को छू गई ये कविता. शुक्रिया.अमिताभ मीतhttps://www.blogger.com/profile/06968972033134794094noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4019129445551793076.post-70985892951972300792008-05-23T12:35:00.000+05:302008-05-23T12:35:00.000+05:30कोई तो मिला जिसे पिता की याद आती है. यहां तो सिर्फ...कोई तो मिला जिसे पिता की याद आती है. <BR/>यहां तो सिर्फ बेटी और मां के ही कद्रदान हैं.<BR/>स्वागत है आपकागुस्ताखी माफhttps://www.blogger.com/profile/15385098727493867212noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4019129445551793076.post-15353160997521823532008-05-22T01:45:00.000+05:302008-05-22T01:45:00.000+05:30ये जब खुलते हैं एक पूरी दुनिया हमारी तरफ़ खुलती है...ये जब खुलते हैं <BR/>एक पूरी दुनिया हमारी तरफ़ खुलती है <BR/>जब ये नहीं होंगे <BR/>घर <BR/>घर नहीं रहेगा।<BR/>=========================<BR/>पिता की याद से जुड़ी <BR/>सच्चे मन की सहज अभिव्यक्ति,<BR/>लेकिन कविता में यह सृजन का <BR/>संवेदनशील और सधा हुआ पड़ाव है.<BR/>========================<BR/>डा.चंद्रकुमार जैनDr. Chandra Kumar Jainhttps://www.blogger.com/profile/02585134472703241090noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4019129445551793076.post-74298302289952559922008-05-20T23:53:00.000+05:302008-05-20T23:53:00.000+05:30नंदिनी जी, क्या बात है। आपके दिल की बातें पड़ कर म...नंदिनी जी, क्या बात है। आपके दिल की बातें पड़ कर मुझे दुख भी हुआ और खुशी भी हुई। दुख इस बात का कई ऐसी औलादें हैं, जिनके मां-बाप होते हुए भी उनके लिए नहीं के बराबर है और खुशी इस बात की है कि उनके इस दुनिया से जाने के बाद भी वो हैं और सदा रहेंगे। ख़ैर अब आप ख़ुद में एक किवाड़ है और आपकी इजाजत के बिना इस किवाड़ को कोई नहीं खोल सकता। मुझे अच्छा लगा यह जानकर की आप कुमार अंबुज को पढ़ती हैं। मैं भी इनको पढ़ रहा हूं। मेरे बड़े भाई ने मुझे इनकी किताब दी है और मैंने भी यह कविता पढ़ी है और इनसे इंस्पायर होकर एक कविता लिखी है दरवाजा अगर हो सके तो पढ़कर अपना विचार मुझे भेजना। मेरी शुभकामनाएं आपके साथ।vijaymaudgillhttps://www.blogger.com/profile/10488293173878643670noreply@blogger.com