हिंदी की युवा कविता के सम्मानित कवि हैं बद्रीनारायण... कविताओं में लोक रंग की कूची चलती है उनके यहां... उनकी नई कविता है बच्चे का गीत... पिता पर मार्मिक कविता है... कुमार जी की किवाड़ चिपकाते समय ही हमने बताया था कि पिता को लेकर बहुत भावुक हो जाते हैं हम... जब से पिता नहीं रहे वह मेरे भीतर पहले से ज़्यादा रहने लगे हैं...
बद्रीनारायण की यह कविता पढि़ये...
।। बच्चे का गीत ।।
काठ का घोड़ा लाने गए
पिता नहीं आए
सोने की चिडि़या लाने गए
पिता नहीं आए
नीले सपने लाने गए
पिता नहीं आए
दादी की पुतली और बाबा के ढांढस
मेरे पिता अब तक नहीं आए
कत्थई गिलहरी लाने गए
पिता नहीं आए
मां की फहराती साड़ी के सबुज रंग मेरे पिता
अब तक नहीं आए
हरा तोता बनकर गए पिता नहीं आए
सपने का मृग लाने गए पिता नहीं आए
पिता आए तो उनकी लाश आई
तृतीय श्रेणी के डिब्बे में
शौचालय के पास की थोड़ी जगह में
लिटाई हुई
(हंस, जून 2008 से साभार)
20 comments:
आह से उपजा होगा गान... खैर.......
नंदिनी जी, इस वेदनामयी कविता की प्रस्तुति के लिये साधुवाद.
बद्रीनारायण जी संवेदनाओं से भरी यह कविता पढाने के लिए आपका बहुत आभार।
नंदिनी जी पहली कमेंट में थोडी अशुद्धि रह गई है। क्षमा कीजिएगा। बद्रीनारायण जी की कविता पढाने के लिए आभार।
बद्रीनारायण जी की कविता मर्मस्पर्शी है -इसे पढवाने का शुक्रिया नँदिनी जी
बद्रीनारायण जी की यह मर्मस्पर्शी रचना बहुत पसंद आई. आभार इसे हमारे साथ बांटने का.
मार्मिक कविता है। कभी बद्री की 'प्रेम पत्र' कविता भी पढ़वाइये जिसके लिए उन्हें भारत भूषण अग्रवाल पुरस्कार मिला था।
उम्दा रचना. पढ़वाने के लिए शुक्रिया.
मर्मस्पर्शी
बहुत बहुत साधुवाद, दिल छू लने वाली रचना है बद्री नारायण जी की...
badri ji ka jawaab naheen! bahut sundar kavita. aapako dhanyavaad!
भीतर तक झकझोरने वाली प्रस्तुति.
सरल.....लेकिन गहन...सघन भी !
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डा.चंद्रकुमार जैन
hum ro pade to chup karwana mushkil ho jayega..
nandini jee, kavita behad maarmik lagee. dhanyavaad.
बहुत बढ़िया रचना। संवेदना से भरी हुई।
khoob bahut khoob....
ख़ूबसूरत लगी, यह कविता !
आभार बद्री जी की कविता पढ़वाने के लिये… इस जंगल में रहते हुए चाहते हुए भी किसी की कोई किताब खरीदना सपने से भी बड़ा सपना है।
शुभम।
माईंड ब्लोइंग
Aadarniya Nandini jee, Jab sabhee log yahan payee ja rahe hain to hum bhee kyun na hon ?
Sunder Marmik kavita thee.
Ye such bhee hua pichhlee 25 June'2008 ko mere fooferere bade bhai saheb kee 2 bachchiyon ke saath. Mere bhai aapke badrinarayan kee kavita ke vahi pita hue us roz.
Aah niyati !
Pls provide Badri`s "Prempatr" on your blog..I`ll be grateful..
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